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फिल्म “द बंगाल फाइल्स” X रिव्यू

“द बंगाल फाइल्स” फिल्म का निर्देशन विवेक रंजन अग्निहोत्री ने किया है और यह उनकी फाइल्स ट्रायलोजी की तीसरी कड़ी है। यह फिल्म 16 अगस्त 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे और नोआखली दंगों की दर्दनाक और अप्रकाशित सच्चाई को बड़े पर्दे पर जीवंत करती है। फिल्म की कहानी शिवा पंडित नाम के कश्मीरी पंडित अफसर के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे बंगाल में किडनैप हुई लड़की भारती बनर्जी की तलाश के लिए भेजा जाता है। इस बीच कहानी में अनेक ट्विस्ट और टर्न आते हैं, जो उस समय की भयंकर घटनाओं को सजीव रूप से दिखाते हैं।


कहानी और किरदार

फिल्म की स्क्रिप्ट ऐतिहासिक सच्चाई और कल्पना का समागम है जो दर्शकों को उस समय के दर्दनाक दौर से रूबरू कराती है। दर्शन कुमार ने शिवा पंडित की भूमिका निभाई है, वहीं सिमरत कौर ने भारती बनर्जी का किरदार जिया है। अनुपम खेर महात्मा गांधी के रूप में नजर आते हैं, मिथुन चक्रवर्ती की भूमिका डरे हुए पुलिस अफसर के रूप में गहराई भरने वाली है। राजेश खेड़ा मोहम्मद अली जिन्ना के किरदार में प्रभावशाली हैं। सभी कलाकारों का अभिनय सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

निर्देशन और विजुअल्स

विवेक अग्निहोत्री ने इस फिल्म के लिए अपने निर्देशन का शत-प्रतिशत दिया है। फिल्म के हर दृश्य में उस दौर की क्रूरता, राजनीति की सच्चाइयों और सामाजिक विभाजन की झलक बड़ी बेबाकी से पेश की गई है। विशेषकर नोआखली के नरसंहार के ग्राफिक और इमोशनल दृश्यों को दिखाने में फिल्म अत्यंत प्रभावशाली है। रक्तरंजित दृश्य, हिंसा, और मास किलिंग को निडरता से पर्दे पर लाया गया है, जो दर्शकों को अंदर तक झकझोर देता है।

कमजोरियां

फिल्म की लंबाई लगभग तीन घंटे है, जो कुछ दर्शकों के लिए भारी हो सकती है। हिंसा के कुछ दृश्य ग्राफिक और सेंसिटिव हैं, जो देखने में कठिनाई पैदा कर सकते हैं। बावजूद इसके, फिल्म की कहानी और विषय की गंभीरता इसे दर्शकों के लिए सार्थक बनाती है।

दर्शकों और आलोचकों की प्रतिक्रिया

फिल्म को 4 में से 4 स्टार की रेटिंग मिली है और इसे एक दिल दहला देने वाला सिनेमाई अनुभव बताया गया है। फिल्म ने इतिहास के एक भूले-बिसरे अध्याय को यादगार बनाकर न केवल उसे सामने लाया है, बल्कि संवेदनशीलता से दहलाने का काम भी किया है। सोशल मीडिया पर फिल्म की कहानी, निर्देशन और कलाकारों की प्रशंसा हो रही है। यह फिल्म सोते हुए मनुष्यों को झकझोर देगी, इतिहास की सच्चाई से अनजान पड़े दर्शकों को जागृत करेगी।

निष्कर्ष

“द बंगाल फाइल्स” एक सच्चे, कड़े और भावुक कर देने वाले इतिहास पर आधारित फिल्म है, जो इतिहास के एक दर्दनाक चैप्टर को बिना किसी रूचि या प्रोपेगेंडा के पर्दे पर लाती है। यह फिल्म इतिहास की भूलें याद दिलाने, सोचने पर मजबूर करने, और कभी न भूलने का सशक्त संदेश देती है। हिंसा की भयानकता भले ही कुछ दर्शकों को असहज करे, लेकिन इसकी सच्चाई और प्रस्तुति इसे जरूर देखने योग्य बनाती है।

इस फिल्म को उन सभी दर्शकों को देखना चाहिए, जो इतिहास, राजनीति और सच्चे सामाजिक मुद्दों पर आधारित गंभीर फिल्मों को समझते और सराहते हैं।
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